नकटिया से संसद तक

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उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव नकटिया में, जहां हर सुबह की शुरुआत मुर्गों की बांग और बैलों की घंटियों से होती थी, वहां एक ऐसा लड़का था जिसे पूरा गांव 'निकम्मा' कहता था। उसका नाम था — मुन्ना यादव। उम्र लगभग 24, पक्के रंग का, थोड़ी घुंघराली ज़ुल्फें और हमेशा हँसता रहने वाला चेहरा। उसका दिन नहर के किनारे पिंटू, बब्बन और झब्बू के साथ ताश खेलने, और बबलू हलवाई की दुकान पर उधार की जलेबी खाने में बीतता था।मुन्ना के पिता का देहांत तब हो गया था जब वो मात्र दस साल का था। मां, गीता देवी,