इंतज़ार की आख़िरी बारिश

बारिश की वो शाम कुछ अलग थी।हल्की-हल्की बूँदें जैसे कोई पुराना गीत गुनगुना रही थीं। ठंडी हवा के झोंके उसके चेहरे को छूकर जैसे किसी भूली याद को जगा रहे थे।आरव स्टेशन के उसी कोने में बैठा था — जहां वो पहली बार अन्वी से मिला था।5 साल बीत चुके थे उस मुलाकात को, पर उसके दिल में वो पल जैसे आज भी ठहरा हुआ था।"पहली मुलाक़ात"जुलाई की एक भीगी दोपहर। ट्रेन लेट थी। आरव भीगा हुआ सा, गीले बालों और किताबों के साथ बेंच पर बैठा था। तभी किसी ने उसके सिर पर छाता तान दिया।"बारिश से बचना है