भाग 1 — वो जो अमावस्या चुराती है गाँव का नाम था पिसुआ — न तो मानचित्रों में कोई बड़ी जगह, न ही इतिहास की किताबों में कोई ज़िक्र। लेकिन एक चीज़ थी जो इस गाँव को बाकी दुनिया से अलग बनाती थी — यहाँ की अमावस्या की रातें। हर महीने की एक रात, जब चाँद आसमान से ग़ायब हो जाता, तब गाँव की रफ्तार थम जाती। जैसे ही सूरज डूबता, पूरा गाँव एक ही जैसे डर में डूब जाता। घर-घर में दरवाज़े बंद कर लिए जाते, लकड़ी की मोटी पट्टियाँ खिड़कियों पर ठोंकी जातीं, और दरवाज़ों पर लाल धागे