साँझ की चाय और वो मुस्कान

"साँझ की चाय और वो मुस्कान"भाग 1: पहली झलकहिमाचल के एक छोटे से गांव ‘मनवी’ में हर शाम एक ही चाय की दुकान पर भीड़ लगती थी — बाबा की चाय की टपरी। लेकिन एक चेहरा उस भीड़ में ऐसा था, जो हमेशा सबसे अलग लगता — अवीर। सीधा-साधा लड़का, जो रोज़ 5 बजे ऑफिस से निकलकर चुपचाप वही चाय पीता था।एक दिन उस चाय की दुकान पर बारिश शुरू हो गई। और तभी एक लड़की आई — भीगी हुई, गुलाबी शॉल में लिपटी, माथे पर छोटी सी बिंदी और आँखों में उदासी। नाम था इरा।अवीर ने पहली बार