रक्तपथ - 1

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आख़िरी रेडियो संदेश            बर्फ़ का रंग सफ़ेद नहीं था, वह केवल एक बेजान सी चादर थी, जिसमें केवल मौन साँस लेता था।  शून्यता इतनी गहरी थी कि हवा भी रुक-रुककर बहती थी, जैसे वह खुद आशंकित हो किसी के जागने से।उसी सफेदी के बीच, एक घायल सैनिक शरीर रेंगता जा रहा था — फटी हुई वर्दी, खून से सने हाथ, और एक डगमगाती साँस।  वह था — हवलदार बाली राजपूत।बाली की छाती से एक लंबा जख़्म रिस रहा था, और उसकी उंगलियाँ एक पुराने रेडियो सेट को कसकर थामे हुए थीं।"ब्रावो-थ्री…बहुत खराब स्थिति है, मुझे नहीं पता