तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 32

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नया दिन, नई उम्मीदअगले दिन सुबह-सुबह ही समीरा अस्पताल पहुँच गई। उसने बुआ के लिए कुछ ताजे फूल लाए थे, जिन्हें देखकर अस्पताल के उदास माहौल में भी हल्की-सी ताजगी महसूस हो रही थी। कमरे में प्रवेश करते ही उसने देखा कि बुआ अंकिता खिड़की के बाहर टकटकी लगाए देख रही थीं। उनकी आँखों में गहराई थी, जैसे वे किसी गहरे विचार में खोई हुई हों।"बुआ," समीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखिए, मैं आज फिर आ गई। और आपके लिए ये फूल भी लाई हूँ। आपको पसंद हैं न गुलाब?"अंकिता ने धीरे से उसकी ओर देखा, फिर बहुत हल्की मुस्कान