डॉक्टर ने रिधान और कबीर को गंभीर आवाज़ में बुलाया।“हमें माफ कीजिए… लेकिन रिद्धि की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। उसके पास ज़्यादा वक़्त नहीं है…”ये सुनते ही रिधान का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। जैसे उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई हो।उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।"न-नहीं… डॉक्टर… ऐसा नहीं हो सकता… मेरी रिद्धि को कुछ नहीं हो सकता…"उसकी आवाज़ भर्रा गई। कबीर ने उसका कंधा थामा, पर वो जैसे पत्थर बन गया हो।---अगले दिन – सुबहप्रकृति बिस्तर पर बैठी थी। माथा गरम था, पूरे शरीर में कमजोरी थी।उसने सोचा, “आज ऑफिस नहीं जाऊँगी… तबीयत ठीक नहीं है।”लेकिन