पहली रात की सुहागरात - भाग 6

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गांव में सूरज ढल चुका था, लेकिन हवेली के भीतर की रौशनी और गूंज... किसी मेले से कम नहीं लग रही थी।रूहाना लाल जोड़े में किसी पुरानी रानी की तरह सजी थी।उसके माथे पर झूमर, होंठों पर गाढ़ा लाल रंग, और आँखों में वो काजल... जो किसी को भी ज़िंदा निगल ले।आज उसकी आँखों में कुछ ज़्यादा था — एक चमक, एक इंतज़ार... और एक अधूरी भूख।ठाकुर ने गाँववालों के सामने एलान किया —“जो भी इस शादी में दूल्हा बनना चाहता है, सामने आए।”कुछ लोग पीछे हटे।कुछ ने नज़रें चुराईं।लेकिन फिर...**आशुतोष** नाम का नौजवान आगे आया।गोरा, छरहरा, थोड़ी दाढ़ी में