लेखक: अंकुशाम की हल्की धूप खिड़की से कमरे में बिखर रही थी। अंकित, जो हर रोज़ कॉलेज से लौटते ही डायरी लेकर बैठ जाता था, आज भी उसी कुर्सी पर बैठा था… पर आज उसकी कलम नहीं चल रही थी। उसकी आँखें एक नाम पर अटक गई थीं – “चहर”।ये कहानी शुरू होती है उस दिन से जब कॉलेज का पहला दिन था। भीड़ में सब कुछ नया था – क्लास, टीचर्स, दोस्त और वो भी… चहर। हल्की गुलाबी ड्रेस में जब उसने पहली बार क्लास में कदम रखा था, तब जैसे वक्त रुक सा गया था। अंकित की नज़र