Kodhi number 17

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सर्दियों की ठंडी रात। घना कोहरा हर चीज़ को अपनी सफेद चादर में छुपा चुका था। शहर की पुरानी गली में एक अकेला मकान खड़ा था—कोठी नंबर 17। यह मकान वर्षों से वीरान था। कहते हैं, जो भी यहाँ गया, वापस नहीं लौटा। लेकिन इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है—उसकी जिज्ञासा।रवि—एक खोजी पत्रकार, जिसने तय किया कि वह इस मकान के रहस्य से पर्दा उठाकर रहेगा।रात के 1:45 बजे। रवि ने कोठी का जंग लगा दरवाजा खोला।"क़र्रर्रर्र..."दरवाजा खुलते ही एक ठंडी हवा का झोंका आया। लगा जैसे कोई अदृश्य साया वहाँ खड़ा हो। अंदर घना अंधेरा था, सिर्फ़ उसकी