एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 6

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वॉशरूमप्रकृति वॉशरूम के कोने में खड़ी थी... उसका चेहरा आंसुओं से भीग चुका था। उसने टिशू उठाना भी जरूरी नहीं समझा।उसके अंदर उबलते हुए सवाल थे, और बाहर फूटते हुए आंसू।वो आईने में खुद को घूर रही थी, फिर अपनी कांपती हुई आवाज़ में फुसफुसाई —"मि. रिद्धान रघुवंशी... तुम हो कौन...? तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो?"वो दीवार से टिक गई, फिर दोनों हाथों से मुंह ढककर चुपचाप रोती रही...---अगले दिन – ऑफिसप्रकृति आज बिल्कुल अलग तेवर में थी... उसकी आंखों में आँसू नहीं, आग थी।वो सीधा रिद्धान के केबिन की तरफ बढ़ी।जैसे ही रिद्धान ने उसे केबिन