नमस्ते जी ..मी निहारिका आपको कैसे संबोधित करू समझ नहीं आ रहा .फिर भी आशा है आप खुद हि हमे समझ लेंगे आठ दिन हुये आपको यहासे निकल कर ..|फोन पर आपसे दो तीन मर्तबा बात हुई थी..|आप नाराज है ये भी जान पडा बातोबातोमे पता नही क्यो हमे फोन पर बात करने मे थोडी झिझक सी लगती है..खुल कर बोल नही पाते हम ,और जो बोलनां चाहा होता है पीछे ही छुट जाता है |इसलिये हमने सोचा क्यो न खत के जरीये आपसे बात की जाय ..वैसे भी vallentine day नजदीक है तो यु समझो की ये हमारा “प्रेमपत्र “ है