Part 4: “तुम्हारा हिस्सा बनने का हक़ है क्या मुझे?”बारिश थम चुकी थी, लेकिन छत की रेलिंग पर रखी पानी की बूंदें अब भी चमक रही थीं। उन बूंदों की तरह ही, नायरा की आंखों में अनगिनत सवाल थे — रहान के अतीत से, उसके जज़्बातों से, और शायद खुद से भी।रहान अब सामने खड़ा था, खामोश, शांत... लेकिन उसकी आंखें बहुत कुछ कह रही थीं।“जो तुमने आज बताया... वो बहुत भारी था,” नायरा की आवाज़ भीग चुकी थी।“मुझे नहीं पता था कि किसी को अपनी गलती के साथ जीने में इतना वक्त लग जाता है,” रहान ने धीमे