एक पैशाची काला पंख....अब आगे.............अदिति की बात सुनकर सब हैरानी से उसे देखते हैं... आदित्य अदिति के पास जाता है...आदित्य : तू ऐसा क्यूं कहा रही है...?...माना तुम दोनों का झगड़ा हुआ है इसका मतलब ये तो नहीं की तू ऐसा बोलेगी....अदिति (तक्ष) : भाई बस मुझे कुछ नहीं सुनना....और रही बात विवेक की वो हर समय तक्ष को पिशाच बताता रहता है और आज उसके बानायी औषधि ही काम आई है.....इशान अदिति को समझाने के लिए उसके पास आता है..." अदिति मैंने माना विवेक गलत सोचता है और शायद उसे समझाना मुश्किल हो लेकिन इसमें इन दोनों की फ्रेंडशिप