दानव द रिस्की लव - 73

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तक्ष का मकसद.....अब आगे...........विवेक वहीं मंदिर के प्रांगण में बैठ जाता है....और बस अघोरी बाबा के आने का इंतजार करता है । त्रिशूल विवेक की हालत देखकर थोड़ा परेशान हो जाता है और उसे समझाता है...." देखो गुरुजी की साधना भंग नहीं करी जा सकती इसलिए बेहतर होगा तुम अपने दोस्त का ध्यान रखो..." विवेक उसी दुखी थी आवाज में कहता है..." मुझे अघोरी बाबा से मिलना है , डाक्टरों ने साफ कह दिया है वो जिंदा नहीं है लेकिन मैं जानता हूं उस पिशाच का तोड़ सिर्फ अघोरी बाबा कर सकते हैं..."त्रिशूल के बार बार समझाने पर विवेक नहीं