"श्रिनिका की डायरी से कुछ अनछुए पन्ने""मोहब्बत जब सिर्फ एहसास बन जाए,तब शब्द उसकी परछाई हो जाते हैं।"जब श्रिनिका चली गई....तो उसके पीछे जो सबसे कीमती चीज़ मेरे पास बची..वो थी उसकी डायरी।नीले रंग की, पुराने रिबन से बंधी हुई, हल्के गुलाब की खुशबू से महकती एक डायरी....जिसे वो हमेशा अपनी जान कहती थी।कई रातें मैंने वो डायरी सीने से लगाकर रोते हुए बिताई हैं।कई बार लगा जैसे उसके शब्दों में वो खुद छुपी बैठी हो..मुस्कुराते हुए, रोती हुई, मुझे समझाती हुई, थपथपाती हुई।आज.... मैं वही पन्ने आपसे साझा कर रहा हूँ ..वो जो केवल मेरे और उसकी आत्मा के बीच