शाम से रात होने आई थी लेकिन अन्वी के दिमाग से विवान नहीं निकला था। न जाने क्यों उसे देखने की, उसके बारे में जानने की लालसा उसे खूब थी। ऊपर से विवान मानो उसका हाल समझ रहा हो, तभी रात के वक्त वो भी अपनी बालकनी में आ गया था। मगर अन्वी अपनी सोच में ही इतनी गुम थी कि उसे विवान की मौजूदगी का एहसास नहीं हुआ।लेकिन जब उसे एहसास हुआ और उसने अपनी नज़रे उठा कर देखा तो सामने विवान खड़ा था, मगर इस बार भी वो उसका चेहरा नहीं देख पाई थी। क्योंकि विवान की पीठ