राग सदा ऊपर को उठता ,आँसू नीचे झर जाते हैं ! पाठकों जैसा आप सभी जानते हैं कि गोपाल दास “नीरज “ हिन्दी काव्य जगत के महानतम गीतकार रहे हैं |प्रेम हो या विरह ,सुख हो या दुख मनुष्य जीवन की सभी विधाओं पर सटीक शब्दों की काव्यमय माला श्रोताओं को पहना देना उनका काव्यमय तिलस्म रहा है| उनका एक प्रसिद्ध गीत है -“स्वप्न झरे फूल से , गीत चुभे शूल से,लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से | और हम खड़े खड़े बहार देखते रहे