पतझड़ के बाद - एक सच्चा इंतजार - 5

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अगर ज़िंदगी में सब कुछ आसानी से मिलने लगे, तो हम कभी किसी चीज़ की असली कीमत नहीं समझ पाएंगे - न ही खुशी की, और न ही दुःख की। प्रकृति हमें हमेशा सिखाती है कि किसी के जाने से कुछ नहीं रुकता, और किसी के लौट आने से पहले जैसा कुछ भी वापस नहीं आता। जब रित्विक ने आरवी को अपना सच बताया, तो चाय के कप ठंडे हो चुके थे और बारिश भी थम चुकी थी। सुबह होने को थी रात के सन्नाटे में पक्षियों की चहचहाट थी अब बचा था तो सिर्फ एक सवाल- क्या आरवी उसे