हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया - 4

"हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया"   Episode 4 — “एक अनजान नाम… और एक और सच”   “अगर नेहा के बारे में सच जानना है… तो कल इसी वक्त, इसी जगह मिलो। अकेले आना।” आरव का दिल जैसे तेज़-तेज़ धड़कने लगा। स्टेशन की भीड़, ट्रेन की आवाज़, सब धुंधला लगने लगा था। "ये कौन है?" "क्या ये कोई मज़ाक है?" "या फिर नेहा… और भी कुछ छुपा रही है?" रात भर मोबाइल को ताकता रहा। वो नंबर… ना फोटो, ना डीपी… सिर्फ एक ठंडी लाइन। "कल