हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया - 2

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"हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया"   Episode 2 — "कल बताऊंगी…"   स्टेशन की वही सुबह, लेकिन आज कुछ अलग था… कुछ अधूरा, कुछ डराता हुआ। रात ठीक से नींद नहीं आई। बार-बार वही आवाज़ कानों में गूंजती रही — "कल बताऊंगी…" क्या बताना चाहती थी वो? क्या कोई राज़ था? या फिर... कोई ऐसी बात जिसे मैं सुनना नहीं चाहता? सुबह 7:55 AM मैं स्टेशन पर पहुंच चुका था। हाथ में वही पुरानी चाय, पर दिल में बेचैनी। हर लोकल पर नजर थी… हर चेहरे पर