13वां दरवाज़ा - 4

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एपिसोड 4: हवेली अब मेरे सपनों में आती है... आरव अब हवेली से बाहर था। उसका शरीर सामान्य दिख रहा था, लेकिन कुछ ऐसा था जो पहले जैसा नहीं रहा। उसकी आँखों में हर वक़्त एक अदृश्य डर तैरता था — जैसे कुछ अब भी उसके साथ चल रहा हो। शिवा उसे अपने गाँव के बाहर बने एक पुराने फार्महाउस में ले गया। दूर जंगलों के बीच, लोगों से कटकर, वह जगह सुरक्षित लग रही थी। पर आरव जानता था — जो उसके भीतर घुस चुका है, वो अब कहीं नहीं जाएगा। सपनों की शुरुआतउस रात आरव पहली बार आराम