राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 6

...तो क्या करती  ?तुम नहीं आए तो मुझे आना पड़ा।तुम अकेली आई हो इतनी धूप में वो भी पैदल। ?तो किसके साथ आती  ?और सूरज में इतना तेज नहीं है देव ,जो मेरे जुनून को रोक सके ‌।क्या तुम आंटी को बता कर आई हो ?नहीं देव  ,मै‌ बस यु ही चली आई।अगर आंटी को पता चला या घर में किसी और को तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा ..राधे तुम्हें सबकी बड़ी चिंता है ना देव सिर्फ मेरे अलावा। ऐसा नहीं है राधे , मुझे सबसे ज्यादा तुम्हारी चिंता है। मेरी वजह से तुम्हें कोई कुछ कहे यह मैं सहन नहीं कर पाऊंगा।अच्छा..!अगर इतनी