चंद्रवंशी - अध्याय 4 - अंक 4.3

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“मुझे माफ कर देना लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहती।” जिद बोली।“मतलब!” विनय गुस्से हो गया।“मतलब मैं तुम्हें अभी नहीं समझा सकती।” जिद बोली।“पर तुम्हें अचानक क्या हो गया?” माहि भी उनके साथ थी।“बस ऐसे ही।” जिद बोली।“अभी तो तुम लोग मिले हो उसका एक महीना ही हुआ है और तुम्हारा प्यार खत्म हो गया?” माहि बोली।“ना...!” जल्दी में जिद के मुँह से एक शब्द निकल गया। उसके साथ ही उसकी आँख से एक आँसू भी बह निकला और वह तुरंत कंपनीबाग से निकलकर सड़क के पास जाकर रुक गई। उसने पीछे देखा। विनय और माहि उसे ही देख