“ये आदम जैसा भी नाम है क्या सच में!” रोम हँसते हुए बोला। “क्यों, नाम तो कुछ भी हो सकते हैं। तो आदम में क्या दिक्कत है?” विनय बोला। “ना मुझे कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत तो उसे है। (हँसते हुए) उसका नाम मेरे हाथ में रखे काग़ज़ में है, इसलिए।” रोम हँसने लगा। “वो काग़ज़ नहीं है। अरेस्ट वारंट है।” विनय बोला। “अरेस्ट वारंट काग़ज़ का ही तो होता है?” “इसमें क्या समझना। अगर हम कानून के रक्षक ही वारंट की कद्र न करें, तो बाकी लोग क्या करेंगे।” विनय रोम को समझाते हुए बोला। “ये बात भी है ना! चल भाई काग़ज़, आज से