चंद्रवंशी - अध्याय 4

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"रोम... रोम... कहाँ है तू?" विनय हेड ऑफिस में रोम को ढूंढता-ढूंढता बोला।  पीछे की सीढ़ियों से रोम एकदम से कूदा और "भू..." करके उसे डराने की कोशिश की।  "तेरे ये खेल कब बंद करेगा? चल, हमें स्नेहा केस के लिए आज फिर उस कोयले की खदान पर जाना है।" विनय रोम को याद दिलाते हुए बोला।  "सर कौन है? मैं कि तू?" रोम अब भी मस्ती कर रहा था।  "मैं!" रोम के पीछे से श्रुति आकर बोली।  रोम घबरा कर एकदम विनय से चिपक गया और पीछे देखकर बोला, "मुझे लगा भूत आ गया।"  "तेरे लिए भूत ही समझ।" श्रुति बोली।  फिर सब साथ में वहाँ