चंद्रवंशी - अध्याय 3 - अंक 3.3

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"जीद... जीद... कहां सपनों में खो गई?"  अचानक माही की आवाज़ सुनकर जीद उठी और आंखें मसलते हुए बोली, "आज तो छुट्टी का दिन है न!"  "हां, लेकिन उसी छुट्टी के दिन तो तुझे किसी से मिलने जाना है। तुझे याद तो है न?" माही की बात सुनते ही जीद बोली, "अरे... हां! मैं तो भूल ही गई।" फिर अपने बेड पर ही बैठ गई।  "हां तो मैडम, आज कौन से कपड़े पहनकर जाने का इरादा है?" माही बोली।  "आज..." बोलकर जीद सोचने लगी।  जीद ने शायद कपड़ों की पसंद नहीं की थी, ऐसा लगता माही ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "एक काम कर, हमारे