चंद्रवंशी - अध्याय 3 - अंक 3.2

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“माही, तुझे लगता है कि जंगल में इतनी दूर भी कोई मंदिर होगा?” जिद चलते-चलते ही बोल रही थी।  “अब समझ में आया कि वो छोटी लड़की ने उस लड़के को क्यों डरा रही थी। उसकी मम्मी तो क्या! मेरी मम्मी भी मुझे मारती।” माही बोली।  लगभग पंद्रह मिनट चलने के बाद थोड़ी दूर एक मंदिर की चोटी (शिखर) दिखाई देने लगी थी। माही जिद की तरफ खुशी से देखकर उस चोटी की तरफ इशारा किया। दोनों की चलने की रफ्तार बढ़ गई। मंदिर तक पहुँचते-पहुँचते दोनों पसीने-पसीने हो गए। आसमान में मौजूद बादलों की वजह से उन्हें और ज्यादा उमस लग