चंद्रवंशी - अध्याय 3 - अंक 3.1

“लगभग दस बजे हैं। मैं तुझसे कह रही थी न कि पाडुआ भले ही पास में हो, लेकिन हावड़ा ब्रिज के बीच से यहाँ आने में हमें दो घंटे लग ही जाएंगे।” माही बोली।  पाडुआ एक छोटा सा गाँव है। वहाँ लगभग सौ से दो सौ घर बसे हुए थे। गाँव से थोड़ी दूरी पर चंद्रताला मंदिर स्थित है। उस मंदिर का एकमात्र पुजारी पाडुआ गाँव में रहता है। उसका नाम शुद्धिनाथन था। जिद की मम्मी के अनुसार, उस पुजारी के पूर्वज वर्षों से चंद्रताला मंदिर के ही पुजारी रहे हैं। इसलिए माही और जिद सबसे पहले पाडुआ गाँव के अंदर