ज़िंदगी भी कभी कभी क्या अजीब खेल खेलती है। जब हम सब कुछ भूलकर, सब कुछ फिर से शुरू करने को तैयार, होते हैं - बिना किसी उम्मीद के, तब वही ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर ले आती है, जिसकी हमने कभी कल्पना तक नही की होती।आरवी भी तो बस एक समारोह में हिस्सा लेने आई थी, उस नए अंजान शहर में जहां वो किसी को नहीं जानती थी। लेकिन वहां उसे वो दिखा, जिसकी उम्मीद उसने कब की छोड़ दी थी।उस चेहरे को देख कर आरवी की सांसे थम गई। वो समझ नहीं पा रही थी - क्या ये