काल कोठरी-------(2)ये उपन्यास एक रचित सत्य कहानी की कलाई थामे है, इसे झूठा मत समझा जाये। ये दीपक जो सब घटनो का स्मोहिक कारण था जिसे सब मालम था। वो अभी तक चुप था। नाश्ते मे पूरी और छोले बन चुके थे, साथ मे रेता था गाज़र का। रविवार खूब मजे है, उसके बच्चों को पता था ... दिल्ली की शाहबाद जैन कलोनी मे पिछले एक साल से रह रहे थे।अख़बार पढ़ते पढ़ते एक दम अचबित, हैरत, हैरानी सब इकठे हो कर आये थे। काले अक्षरों मे लिखा था.... एक हादसा जबरदस्त... कौन करेगा सफर... दीपक हैरान था,लिखा था, जो