द्वितीय अध्याय सिन्धी गुप्तचर दल हिन्द-सेना ब्राह्मणाबाद के किले की रक्षा में सफल हो चुकी थी। पूरे नगर के सबसे ऊँचे किले की चोटी पर हिन्द-सेना के गौरव का प्रतीक केसरिया ध्वज वायु के बहते प्रवाह के समक्ष अपना सर ऊँचा किये यूँ लहरा रहा था मानों चारों दिशाओं को अपने प्रभुत्व का संकेत भेज रहा हो। शीघ्र ही किले का विशाल द्वार खुला और पुष्प वर्षा से सभी प्रमुख वीरों का स्वागत हुआ। सिंध नरेश महाराज दाहिर, कन्नौज नरेश नागभट्ट, मेवाड़ नरेश मानमोरी के साथ कंधे से कंधा मिलाता हुआ कालभोज (बप्पा रावल) गर्व से सीना ताने किले के भीतर चला आ