प्रथम अध्याय ब्राह्मणाबाद की विजय रण में शवों के ढेर के बीचों बीच तीन-तीन विकराल अश्व और उस पर सवार हुए अरबी हाकिम अपने-अपने हाथों में तलवारें और भाले संभाले तीन सौ गज की दूरी पर पंद्रह अरबी सैनिकों से अकेले लोहा लेते हुए एक वीर की ओर बढ़े चले जा रहे थे। दो अरबी सैनिकों की गर्दनों को तलवार के एक ही प्रहार से उड़ाते हुए उस वीर योद्धा के शिरस्त्राण पर लगे रक्त के साथ माथे पर लगा चंदन का अमिट तिलक उसके सूर्य समान तेजस्वी मुखमंडल की शोभा बढ़ा रहा था। उस वीर के मुख से लेकर