काठगोदाम की गर्मियाँ - 3

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रिश्तों की परछाइयाँकाठगोदाम की सुबहें जितनी शांत थीं, रोहन का घर उतना ही हलचल भरा था। घर में बहन की शादी की तैयारियाँ चल रही थीं—माँ रसोई में हल्दी के पकवानों में व्यस्त थीं, छोटी बहन रंग-बिरंगे सजावटी आइटम्स को व्हाट्सएप पर भेज-भेजकर सबकी राय ले रही थी और पापा थोड़े बीमार होकर कमरे में लेटे रहते थे।रोहन सब कुछ देख रहा था। वह कहीं भाग लेना चाहता था, लेकिन हर ओर से खिंचता चला जा रहा था। वह छत की ओर देखने लगा—जहाँ उसे अपनी साँसें थोड़ी खुली सी लगती थीं।“भैया, हल्दी में कौन-कौन आएगा? लिस्ट चेक कर लो,”