दुस्साहस

  • 348
  • 111

 धीरेन्द्र और सागर बहुत गहरे मित्र थे दोनों साथ साथ रहते घूमते फिरते और काम करते दोनों ही बहुत पढ़े लिखें तों नहीं थे लेकिन दोनों का दिमाग़ वर्तमान युग के कम्प्यूटर से भी अधिक तेज था धीरेन्द्र और सागर के लिए उनको जानने वालो के बीच कहावत मशहूर थी सैतानो का दिमाग़ पाया है दोनों ने!दोनों कद काठी से मजबूत एवं सुन्दर सुकांत किसी राजवंड़े या रमींदार परिवार से प्रतीत होते थेअपनी सुन्दर काया व्यक्तित्व का दुरूपयोग दोनों लोंगो को ठगने बेवकूफ बनाने या थाने ब्लाक तहसील कि दलाली करते जिसके कारण उनके पास पैसे कि कोई समस्या नहीं