स्वर्गीय विद्रोह - 4

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"विस्मृत अतीत की पुकार"(आवाज़: अब और अधिक दृढ़, उसमें एक चेतावनी और आने वाले संघर्ष का संकल्प है. नियति अब अपने पंख फैला चुकी है.)विराज लोक में, ज्ञानदेव के आश्रम में सूर्य की सुनहरी किरणें एक शांत सुबह का संकेत दे रही थीं. अग्निवंश, अब एक युवा व्यक्ति, जिसकी मांसपेशियां कठोर और आँखें गहरी थीं, अपनी दैनिक साधना में लीन था. उसके चारों ओर ऊर्जा का एक सूक्ष्म आभामंडल था, जो उसके भीतर की अपार शक्ति का प्रमाण था. पिछले कई वर्षों में, ज्ञानदेव के मार्गदर्शन में, वह न केवल एक असाधारण योद्धा बन चुका था, बल्कि उसने प्रकृति के