13वां दरवाज़ा - 3

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एपिसोड 3: जिस्म तो मेरा है... पर आवाज़ किसकी है? उस रात हवेली की दीवारों ने कुछ नया देखा — एक लड़का, जिसका चेहरा आरव का था, लेकिन उसकी आँखों में इंसानियत नहीं थी। हवेली के उस तहखाने में, जहाँ आईने बोलते थे और दीवारें साँस लेती थीं, आरव की रूह अब अकेली नहीं थी। कुछ उसके अंदर उतर आया था। वो चल तो आरव की तरह रहा था, पर उसकी चाल में अजीब सी थिरकन थी — जैसे किसी और की डोरियों पर चल रहा हो। भीतर की आवाज़आरव ने अपने हाथों को देखा। सब कुछ ठीक था... लेकिन