आखिरी चिट्ठी

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रेलवे स्टेशन पर सांझ का नरम उजाला बिखरा हुआ था। हल्की-हल्की बूँदाबाँदी ने माहौल को और गहरा कर दिया था, जैसे आसमान भी किसी की कहानी का हिस्सा बनना चाहता हो। प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर भीड़ कम थी, और हर कोने में कुछ अनकही कहानियाँ छिपी हुई थीं। लेकिन सबसे गहरी कहानी उस बेंच पर लिखी जा रही थी, जहाँ आयान अकेला बैठा था, सामने की खाली पटरियों को निहारते हुए।उसके हाथ में एक चमड़े की जिल्द वाली डायरी थी। पुरानी, किनारे घिसे हुए, जैसे उसकी आँखों के नीचे के हल्के काले गड्ढे। उसकी उंगलियाँ डायरी के कवर पर धीरे-धीरे