कृष्णा की लाश अभी तक बिस्तर पर ही थी। ठाकुर जमीन पर बैठा, रोता जा रहा था, और बाकी गांववाले कुछ दूर खड़े, सिर्फ कानाफूसी कर रहे थे।"हर बार ऐसा ही होता है... शादी, सुहागरात और फिर मौत…""और हर बार दुल्हन वही होती है…""मगर कोई कुछ कहता क्यों नहीं?"भीड़ में से कोई चुपचाप बोला — “क्योंकि जिसने कुछ कहा… उसकी अगली बारी आई।”उधर हवेली के पीछे बने पुराने बाग़ में एक लाल जोड़ा लटकता मिला।हवा के झोंके में वो जोड़ा इस तरह उड़ रहा था जैसे किसी की रूह उसमें समाई हो।और नीचे ज़मीन पर... एक जोड़ी नुकीली ऊँची हील्स