नीलिमा के स्पर्श में प्रेम

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प्रस्तावना:कुछ प्रेम कहानियाँ किताबों में नहीं मिलतीं, वे आत्मा में लिखी जाती हैं — देह के पार, भावना के उस छोर तक, जहाँ प्रेम सिर्फ अनुभूति नहीं, समर्पण होता है। यह कहानी है नीलिमा और आरव की — दो ऐसे आत्माओं की जो देह से शुरू होकर आत्मा में विलीन हो जाती हैं।---भाग 1: पहली मुलाक़ातसांझ का समय था। दिल्ली के एक प्रसिद्ध आर्ट गैलरी में नीलिमा की पेंटिंग प्रदर्शित हो रही थी। वह सादे रंगों वाली साड़ी में, अपने बनाए चित्रों के बीच खड़ी थी। तभी वहाँ एक शख़्स आया — लंबा कद, किताबों का झोला कंधे पर, आँखों