IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 4

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 "उसके बिना.... ये सफ़र"(अधूरे ख़्वाब)उसके जाने के बाद ज़िंदगी रुक तो नहीं गई.. लेकिन चलती भी नहीं थी।हर सुबह सूरज की किरणें तो खिड़की पर आती थीं, पर कमरे में उजाला नहीं भरता था।हर शाम की हवा अब भी वही थी — जो एक दिन मेरी बारिश वाली लड़की के बालों को छूती थी..मगर अब वो हवाएं दिल को नहीं, सिर्फ यादों को सहलाती थीं, मुझे भिगो जाती थी।"तेरे जाने के बाद, मेरा वजूद अधूरा है,जैसे बारिश बिना बादल, जैसे नदियाँ बिना किनारा।"मैंने उसका वादा निभाने की कोशिश की — मुस्कुराने की।कॉरपोरेट की दुनिया में मैंने खुद को झोंक दिया, दिन-रात काम