नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 7

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"मैं अनेक ग्रामीणों के साथ लम्बी वार्ता करने के बाद एक किसान की कुटिया से तुम्हें लिख रहा हू। इस समय शाम के चार बजे हैं, मौसम कुछ-कुछ खुशगवार है। इस समय मुझे घूमना अच्छा लग रहा है। अभी बर्फ़ तो नहीं गिर रही, परन्तु हवा बर्फीली है। मैंने किसानों को हर जगह हड़ताल करते देखा है। वे सभी सविधान के लिए मरने को तैयार हैं। महिलाओं का देशप्रेम भी दर्शनीय है। ऐसा लगता है कि वे स्वतन्त्रता को अपने प्राणों से भी अधिक महत्त्व देती हैं और उसे तुरन्त प्राप्त करना चाहती हैं। दौफ़िन में पादरियों ने राज्य के