पुस्तक समीक्षा बाल सुलभ भावनाओं का शब्द चित्र है द्वय बाल काव्य संग्रह -'शिशु गान' और 'आओ अक्षर के गुण गायें' समीक्षक- सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र) बाल मन को समझना इतना आसान नहीं होता, जितना हम आप मान लेते हैं, बाल मनोविज्ञान को समझने के लिए स्वयं को उस अवस्था में ईमानदारी से ले जाना होता, तब भी हम शायद उनके दृष्टिकोण, वैचारिक चिंतन, उनकी चंचलता और उनकी तात्कालिक आवश्यकता को पूर्णतया समझ ही पायेंगे, इसमें भी संशय ही है। एक शायर की बातें श्रृंखला में कवि हरिश्चन्द्र त्रिपाठी 'हरीश'