राजू एक 13 साल का लड़का था जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहता था। उसके पापा एक बढ़ई (carpenter) थे, जो लकड़ियों से फर्नीचर बनाकर रोज़ी-रोटी चलाते थे। माँ घर पर रहती थीं, और गाँव की औरतों के कपड़े सिलने का काम करती थीं। पैसे बहुत कम थे, लेकिन इज़्ज़त और प्यार से भरा घर था।राजू को बचपन से ही जानवरों से बहुत लगाव था। वो गाय, कुत्ते, बकरी से लेकर मोर तक — सबका दोस्त था। गाँव वाले अक्सर हँसते थे कि “ये लड़का इंसानों से कम, जानवरों से ज़्यादा प्यार करता है।” लेकिन राजू