कोई जवाब नहीं आया।वह थोड़ी देर खामोश रही, फिर एक बार फिर पूछा, "हर्षवर्धन, क्या तुम हो?"तभी दरवाजे के नीचे से एक कागज़ अंदर सरकाया गया। संजना ने झट से कागज़ उठाया और कांपते हाथों से उसे खोला।उसमें लिखा था—"भाग जाओ! इससे पहले कि बहुत देर हो जाए!"संजना का दिल बैठ गया। "यह किसने भेजा? और यह चेतावनी क्यों?"अब संजना के सामने दो रास्ते थे—या तो वह चुपचाप अंदर ही रहे, या फिर अपनी जान जोखिम में डालकर बाहर निकले।वह सांस रोककर कुछ पल खड़ी रही, फिर उसने दरवाज़ा खोलने का फैसला किया...खौफनाक वैयर हाउस – भाग 2संजना का दिल