फिर हर्षवर्धन ने गहरी सांस ली और अपनी जेब से एक नोटबुक निकाली। उन्होंने एक-एक पुलिसवाले का नाम लिखा और आदेश दिया, "कल से हर पुलिसकर्मी की ड्यूटी का हिसाब लिया जाएगा। जिसे जहां भेजा जाएगा, उसे वही काम करना होगा। और अगर कोई शिकायत मिली, तो उसका अंजाम बुरा होगा।"पुलिसकर्मियों की आँखों में अब गंभीरता थी। उन्हें समझ में आ चुका था कि अब से ऐश मौज के दिन खत्म हो चुके हैं।डीसी हर्षवर्धन ठकराल के आते ही पुलिस स्टेशन की हालत बदल गई। अब वहां अनुशासन था, ईमानदारी थी, और सबसे बढ़कर, कानून का डर था। पुलिस स्टेशन