इसवक्त अस्पताल का ये रूम नम्बर 55 गहरे सन्नाटे में डूबा हुआ था। सिर्फ मशीनों की बीप और शांति जी की धीमी सांसों की आवाज ही इस खामोशी को तोड़ रही थी। कमरे की ठंडक में भी, पावनी का चेहरा पसीने से भीगा हुआ था। वह शांति जी के पास बैठी, उनका हाथ थामे हुए थी। उसके चेहरे पर डर, बेचैनी, और भावनाओं का सैलाब उमड़ रहा था। शांति जी की हालत देखकर पावनी की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह कभी उनके चेहरे को निहारती, तो कभी उन मशीनों की तरफ देखती, जो उनकी जिंदगी की डोर को पकड़े हुए