तुम्हारे बिना अब कुछ भी पूरा नहीं लगता "मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम्हारे बिना जीना इतना अधूरा लगेगा..." "रुचि, ज़रा वो लाल डिब्बा देना, माँ की दवाई रखी है उसमें।" मैंने आवाज़ दी, पर कोई जवाब नहीं आया। अब आदत सी हो गई है उसे बुलाने की, जैसे वो अब भी यहीं हो — मेरे साथ, मेरे घर में, मेरी ज़िन्दगी में... 4 साल हो गए उसे गए हुए, लेकिन मन आज भी वहीं अटका है, जहां उसने मेरा हाथ छोड़कर किसी और का दामन थाम लिया था। ️ सब कुछ शुरू हुआ था कॉलेज के