जय श्री रामजय श्री गणेशाय नमःओम् नमः शिवायॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः रामचरितमानस एक मनोहर ग्रन्थ है। इसके प्रत्येक पद्य को श्रद्धालु मन्त्रवत् आदर देते हैं और इसके पाठ से लौकिक एवं पारमार्थिक अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। यही नहीं, इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने तथा इसमें आये हुए उपदेशों का विचारपूर्वक मनन करने एवं उनके अनुसार आचरण करने से तथा इसमें वर्णित भगवान की मधुर लीलाओंका चिन्तन एवं कीर्तन करने से मोक्षरूप परम पुरुषार्थ एवं उससे भी बढ़कर भगवत्प्रेम की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है। क्यों न हो, जिस ग्रन्थकी रचना स्वयं गोस्वामी तुलसीदासजी जैसे