मंजिले - भाग 29

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आलोचक------- मैंने जिंदगी मे बहुत आलोचक देखे है ----- पर एक आलोचक ऐसा भी था... मंजिले कहानी का सिर और बाद मे धड़ कहेगे।वो आलोचक कम व्यस्त जयादा दिखा ही था, वैसे वो कभी होता नहीं था। ये कहानी हमारे देश की, पुलिस स्टेशन की यहां वो काम करता था...पढ़ाई मे पढ़ा वो पांचवी तक ही था। नाम था उसका सन्नी सिंह, जात के कुछ भी हो कया लेना... वो सामने जिस फ़ाइल को पकड़े है, बस सीधे ही मिल लो। " भूतनी वाले बात सुनते ही कहा है... " हेड फोन पे बाते कर रहा था किसी से भी,